९ की शाम और १० की सुबह के नाम

नव वर्ष पर एक कविता

कैसे कहें अलविदा तुझको

गान विदाई गायें कैसे

कुछ मंसूबे जन्मे तुझ में

कुछ यादों ली अंगडाई

कितने स्वप्न चुराए तूने

कितनी याद किसी की आई

कभी हसे हम पूरे खुलकर

कभी फूटकर बही रुलाई

छीने जो मनसूबे तूने

उनकी याद भुलाएँ कैसे

अब नव वर्ष खड़ा दरवाजे

लोग खड़े ले गाजे-बाजे

कुछ ने ख़ुद को खूब सजाकर

अपने दोनों नयना आंजे

नै किरण आवाज दे रही

बुला रहा है नया सवेरा

नै दुलहनियां घर आई है

स्वागत-पर्व मनाएं कैसे

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