प्रश्नोत्तर
सभी प्रशन
भाग्यशाली नहीं होते
लौट आते हैं अधिकाँश
अनुत्तरित
उदास मन घायल तन
क्यों कि वे होते तो हैं
यक्षप्रश्नों की तरह
पर उनेंह
युधिष्ठर नहीं मिलते
ऐसा ह़ी एक प्रशन
मैंने भी
किसी से किया
पर वह
घाटी में दी हुई आवाज की तरह
घायल होकर लौट आया
और बोला
मान्यवर !
कभी घाटी में प्रश्न मत भेजना
यहाँ पर किए गए प्रश्न
अक्सर चोटिल हो लौटते हैं
उनके उत्तर नहीं मिलते
कुछ होते हैं
लंगड़ी भिन्न की तरह
जिनके हल के लिए
एक उमर कम पड़ती है
और ऐसे प्रश्नों की संख्या
विषम ह़ी रहती है
कभी - कभी यह मन
सूने आकाश की ओर देख कर
प्रश्न करता है
हे भगवन !
अब तुम्ही बताओ
की सीधे और सरल प्रश्नों के उत्तर
सीधे सीधे क्यों नहीं मिलते ?
बी एल गौड़
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